कामाख्या मंदिर और कामाख्या देवी के बारे में बहुत सारी कहानियाँ प्रचिलित है, इन में से एक कहानी ये भी है की :
कामाख्या मंदिर की स्थापना कैसे हुई?
राजा दक्ष की एक पुत्री थी जिसका नाम सती था, सती का विवाह भगवन शिव से हुआ, लेकिन भगवन शिव राजा दक्ष को पसंद नहीं थे और सती ने उनकी मर्जी के खिलाफ जाकर भगवन शिव से शादी की थी।
राजा दक्ष ने एक बहुत बड़े यज्ञ का आयोजन किया, जिसमे उन्होंने सभी देवी देवताओ को निमंत्रण भेजा लेकिन शिव और अपनी पुत्री सती को निमंत्रण नहीं भेजा, जब सती को इस बात का पता चला की उसके पिता ने यज्ञ का आयोजन किया है और सबको निमंत्रण नहीं भेजा है तो वो भगवान शिव से चलने को जिद करने लगी।
भगवान शिव ने यज्ञ में जाने से मना कर दिया लेकिन सती की जिद की वजह से उन्होंने सती को यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी बिना निमंत्रण के, लेकिन जब सती यज्ञ में पहुंची तो राजा दक्ष ने उनका और भगवान शिव का घोर अपमान किया, और भगवान शिव को भूतो का राजा, घमंडी इत्यादि कहा जिससे सती को बहुत दुःख हुआ और वे अपने पति के इस अपमान को सहन नहीं कर पाई और यज्ञ की अग्नि में कूदकर आत्मदाह कर लिया।
भगवान शिव को जब सती के मृत्यु का समाचार मिला तो भागकर वे उस स्थान पर पहुंचे और व्याकुल होकर सती के शरीर को उठाकर तीनो लोको में तांडव करने लगे जिससे भूचाल की स्थिति उत्पन्न हो गई और सब कुछ नष्ट होने लगा।
फिर सारे देवतागण भागकर भगवान विष्णु के पास पहुंचे और इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए प्रयत्न किया फिर भगवान विष्णु ने भगवान शिव को शांत करने के लिए सती के शरीर को अपने सुदर्शन चक्र से काट दिया, लेकिन शिव जी भ्रमण करते रहे और सती के शरीर के अंग धरती पर गिरते रहे।
माता सती के अंग जहा जहा गिरे वह स्थान शक्ति पीठ कहलाये और भगवान शिव ने खुद कहा की जहाँ-जहाँ सती के अंग गिरे है वहाँ शिव भी बिराजमान रहेंगे और लोको के कल्याण के लिए आशीर्वाद देते रहेंगे। इसी प्रकार सती के अंग धरती पर 51 स्थानों पर गिरे, जिससे 51 शक्तिपीठों का निर्माण हुआ।
गुवाहाटी राज्य के कामरूप नामक स्थान पर माता सती का यौनांग (योनि भाग) गिरा था, जिससे की कामाख्या शक्ति पीठ का निर्माण हुआ और यह शक्तिपीठ सभी पीठो में सबसे शक्तिशाली माना गया क्योकि यौनांग से सृष्टि का निर्माण होता है।
कामाख्या शक्ति पीठ तांत्रिको, अघोरी और साधना करने वाले साधु महात्माओ के लिए सबसे पवित्र स्थान है ऐसा माना जाता है की किसी भी सिद्धि को प्राप्त करने के लिए कामाख्या धाम बहुत ही शक्ति शाली शक्ति पीठ है।
इसके अलावा भी कामाख्या मंदिर से जुडी बहुत सारी कहानियाँ है, जो की आप इंटरनेट से पढ़ सकते है।